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Shauch Karne Ke Niyam

शौच करने के नियम

ओ३म्,,, इस ब्लॉग में शौच (shauch) का अर्थ, शौच करने के नियम, सही तरीका व समय बताया गया है।

साथ ही  शौच के बाद पानी पीना चाहिए या नहीं, आदि प्रश्नों का वैज्ञानिक तथ्यों के साथ उत्तर दिया गया है।

सुबह सवेरे पेट साफ हो जाए तो मन-मस्तिष्क ऊर्जावान एवं शरीर हल्का रहता है।

परंतु यदि पेट ठीक से साफ नहीं हुआ तो दिनभर पेट में भारीपन और चिढ़चिढ़ाहट रहती है।

अतः प्रत्येक मनुष्य को शौच करने के नियम  ज्ञात होने चाहियें।

केवल इस एक क्रिया को यदि प्रातः ठीक से कर लिया जाए तो आपके 90% रोग-व्याधियाँ स्वतः ही समाप्त हो जाएंगे।

दुर्भाग्य से आजकल शहर ही नहीं गाँव में भी शौच जाने के लिए यूरोपियन कमोड (European commode) का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है।

ग्रामीणवासी भी प्राचीन भारतीय वैज्ञानिक पद्धति से शौच करने के नियमों  से अनभिज्ञ हैं।

वे विदेशी अपूर्ण और अवैज्ञानिक पद्धति की ओर अग्रसर हो रहे हैं।

जबकि वो विदेशी स्वयं भोगी-रोगी हो, अपनी संस्कृति छोडकर नतमस्तक हुए भारतीय संस्कृति को जानने को आतुर हैं।

शौच का अर्थ

अधिक्तम् लोगों को नहीं पता कि ‘शौच’ का अर्थ होता है शुचि का भाव, शुचि अर्थात् शुद्धि।

शौच का भाव और उद्देश्य पवित्रता की स्थिति में आने व लाने का है।

शौच जिसे हम मल त्याग क्रिया के अर्थ में समझते हैं।

वास्तव में ये पेट और आंत की शुद्धि या सफाई की क्रिया है जिससे शरीर में शुद्धता आती है।

शरीर को शुद्ध, पवित्र और निरोगी बनाए रखने हेतु पूर्णतः वैज्ञानिक रूप से शौच करने के नियम  भारतीय पद्धति में ही निहित हैं।

अन्यत्र कहीं नहीं।

नीचे बताए गए नियमों के अनुसार मल निष्कासन करने से मनुष्य पेट व मस्तिष्क संबंधी व्याधियों से सदैव बचा रह सकता है।

मल त्याग या शौच करने के नियम

  • शौच करने का समय प्रातः ५ से ६ बजे के मध्य सूर्योदय से पूर्व होता है।
  • सुबह उठकर सबसे पहले ‘ऊषापान’ (१ या २ ग्लास पानी को घूंट-घूंट करके ग्रहण) करना है।
  • इससे बड़ी आंत में पड़े सूखे मल को नमी मिलती है जिससे वो सरलता से बाहर निष्कासित हो सकता है।
  • खड़े होकर बाहर निकलने से पूर्व सिर को किसी गम्छे, पग या तौलिये से बांध लें।
  • इससे रक्त संचार और वायु का वेग नीचे उदर (पेट) की ओर बढ़ने लगता है जिससे मल को सरकने में सहयोग मिलता है।
  • खुली हवा का सेवन करने हेतु घर के आँगन, बरामदे, छत, बगीचे-उद्यान में या सड़क पर सैर करें।
  • ऐसा करने से बड़ी आंत में क्रमाकुंचन तरंगें और अधिक उद्दीप्त होने लगती हैं और सारा चिपका मल मलाशय में एकत्र होने लगता है।
  • शौच करने का सही तरीका है कि सदैव भारतीय पद्धति के शौचालय का ही प्रयोग करते हुए ऊकड़ू बैठना चाहिए।
  • यदि घर में केवल वेस्टर्न टॉइलेट (यूरोपियन कमोड) ही है तो भी उस पर बैठने का तरीका बदलें।
  • उस कमोड की ऊंचाई वाली कोई प्लास्टिक के स्टूल जैसी कुछ वस्तु कमोड के आगे रख लें।
  • फिर दोनों पैरों को उस पर रखकर ही मल त्याग करें।
शौच करने के नियम 2

जानिए शौच करने के कुछ विशेष नियम –

  • मल त्याग करते समय कभी गहरी व लंबी सांसें नहीं लेनी चाहियें।
  • उस दूषित वातावरण में किटाणु सांस के माध्यम से शरीर में प्रवेश करके रोगों के कारक बन सकते हैं।
  • शौच करने के नियम के अनुसार मल त्याग करने में २ से ५ मिनट तक का समय ही लगना चाहिए।
  • यदि इससे अधिक समय व्यतीत करना पड़ रहा है तो समझिए कब्ज़ है।
  • अथवा मल त्याग के दौरान कोई समाचार-पत्र पढ़ने, मोबाइल, आदि देखने का अभ्यास पड़ा हुआ है तो भी कब्ज़ (constipation) है।
  • शौच जाने के आधे घंटे बाद ही पानी पीना चाहिए क्योंकि मल निष्कासन के बाद खाली आँतें कुछ आवश्यक क्रिया करती हैं।
  • शौच के ठीक बाद पानी पीने से ये क्रिया रुक जाती है, जिससे आगे पाचन क्रिया में व्यवधान उत्पन्न होता है।
  • इससे वायु का गोला बनना, अम्ल बढ़ जाना, आदि समस्या हो सकती हैं।

मनुष्य को जीवन में भारतीय पद्धति के अंतर्गत मल त्याग या शौच करने के नियम और सिद्धांतों का नियमित अनुसरण करना चाहिए।

इससे शरीर सदैव एक पक्षी की भांति हल्का अनुभव करेगा और खिलखिलाता रहेगा।

क्योंकि मल बाहर निकलेगा तो पेट साफ रहेगा और पेट साफ रहेगा तो न भारीपन रहेगा न सिर दर्द होगा।

मन-मस्तिष्क प्रफुल्लित रहेंगे।

स्मरण रहे, अधिकतम रोग-व्याधियाँ उदर (पेट) के साफ न होने से उत्पन्न होती हैं, अतः पेट की शुद्धि अत्यंत आवश्यक है।

पेट की शुद्धि किस प्रकार करनी चाहिए इस विषय को विस्तार से समझेंगे अगले लेखों में।

हमारे पिछले ब्लॉग में एचएम बता चुके हैं कि मानव मल क्या है और ये कैसे बनता है ?

पाचन तंत्र कि वैज्ञानिक जानकारी हिन्दी में बताई गयी है।

-कप्तानसिंह चौधरी (कपिल)

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