ऐश्वर्य प्राप्ति हेतु प्रार्थना
सम्पूर्ण संसार में मनुष्य परमेश्वर से ऐश्वर्य प्राप्ति हेतु प्रार्थना अवश्य करता है।
हर कोई चाहता है कि ईश्वर से कुछ मिले न मिले परन्तु ऐश्वर्य अवश्य ही मिले।
वेदों में भी परमात्मा ने ऐश्वर्य पाने के कुछ उपाय, विधि, स्तुति, आदि बताए हैं।
ऐश्वर्य के भागी बनें , ऐश्वर्य प्राप्ति हेतु प्रार्थना
समस्त मनुष्य-जाति चाहती है कि हम ऐश्वर्य के भागी बनें, अर्थात् सुख-सम्पदा के भागीदार बन जाएं।
ऐसे ही प्रार्थना स्वरूप मंत्रों से हमारे वेद भरे पड़े हैं।
आज हम ऋग्वेद के चौथे मण्डल के बत्तीसवें सूक्त के इक्कीसवें मन्त्र को जानेंगे।
ऋग्वेद के इस मंत्र में कार्यसाधक ऐश्वर्य के लिए परमेश्वर से प्रार्थना की गई है।
आइए जानते हैं उस शक्तिशाली प्रार्थना को जिससे हर कार्य सिद्ध होता है।
ओ३म्
भूरिदा ह्यसि श्रुतः पुरुत्रा शूर वृत्रहन् ।
आ नो भजस्व राधसि ।।२१।। -ऋग्वेद – 4/32/21
ऋषि: – वामदेव: ।। देवता – इन्द्र: ।। छन्द: – निचृद्गायत्री ।। स्वर: – षड्ज: ।।
पदार्थ –
शूर – हे शत्रुओं को शीर्ण करने वाले प्रभु !
हि – निश्चय से
भूरिदा: – आप अत्यंत देनेवाले
श्रुतः – प्रसिद्ध
असि – हैं
वृत्रहन् – हे वासनाओं का संहार करने वाले भगवन् !
पुरुत्रा – आप पालन-पूरण करनेवाले और रक्षक के रूप में प्रसिद्ध हैं। (पृ पालन-पुरणयो: ) (त्रा – रक्षक)
हे ईश्वर ! आप
न: – हमें
राधसि – कार्यसाधक ऐश्वर्य में
आभजस्व – भागी बनाइये ।
संक्षिप्त भावार्थ
हे प्रभो ! हम आपके ऐश्वर्य में भागी बनें ।
भावार्थ –
हे शत्रुओं को नष्ट करने वाले भगवन! आप निश्चित ही अत्यन्त देनेवाले प्रसिद्ध हैं।
हे वासनाओं का संहार करने वाले प्रभु! आप पालनकर्ता व पूरणकर्ता के रूप में प्रसिद्ध हैं।
हे प्रभु! आप रक्षक के रूप में प्रसिद्ध हैं। आप हमें कार्यसाधक ऐश्वर्य में भागी बनाइये।
हमें आपकी कृपा से वह धन प्राप्त हो, जो कि सब कार्यों को सिद्ध करने वाला है।
भावार्थ का विश्लेषण
ऋग्वेद के इस शक्तिशाली मन्त्र में परमात्मा की स्तुति के साथ प्रार्थना भी है।
इस शक्तिशाली मन्त्र में स्तुति करते हुए सब कार्यों को साधने वाले ऐश्वर्य के लिए प्रार्थना की गई है।
हे परम पिता हम इस प्रकार परिश्रम और बुद्धि – विवेक से धन अर्जित करना सीखें।
जिससे की हमें कभी कोई शोक अथवा दुख न हो और हमारे उस धन से एचएम प्रत्येक कार्य को पूरा कर सकें आपकी कृपा से।
ईश्वर के कुछ विशेष गुणों का इस दिव्य मन्त्र में उल्लेख करते हुए प्रार्थना की गयी है।
ईश्वर के कौनसे विशेष गुण बताए हैं इस मंत्र में-
- शूर – शत्रुओं का नाश करने वाला
- भूरिदा – अत्यंत देनेवाला
- वृत्रहन् – वासनाओं का संहार करने वाला
- पुरुत्रा – पालन व पूरण तथा रक्षा करने वाला
इस मंत्र का जाप कैसे करें
किसी भी वैदिक मन्त्र के जाप की विधि और नियम हम पहले भी बता चुके हैं।
मन्त्र जाप की वास्तविक वैदिक विधि जानने के लिये यहाँ क्लिक करें।
ऋग्वेद के इस दिव्य मन्त्र के जाप करने और ध्यान करते हुए प्रार्थना करने से ऐसा धन प्राप्त होता है जिससे सब कार्य सिद्ध हो जाते हैं।
ऐसे धन को प्राप्त करने वाला मनुष्य कभी दुख और शोक को प्राप्त नहीं होता।
इससे पूर्व भी एक मंत्र इसी सूक्त का हमने पिछले लेख में बताया है उसके लिए यहां क्लिक करें।