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Mantra for Money

अपार धन प्राप्ति मंत्र

ऋग्वेद में छुपा है एक अपार धन प्राप्ति मंत्र

इस मन्त्र के प्रभाव और अर्थ के विषय में बहुत कम लोग जानते हैं।

आइए जानते हैं ऋग्वेद का धन बरसाने वाला मन्त्र कौनसा है एवं उसके प्रत्येक शब्द का अर्थ और संक्षिप्त अर्थ।

ओ३म्।   भूरि॑दा॒ भूरि॑ देहि नो॒  मा द॒भ्रं भूर्या भ॑र।

  भूरि॒ घेदि॑न्द्र दित्ससि ॥४/३२/२०॥

                                                                  ऋषि:- वामदेव: ॥ देवता- इन्द्र: ॥ छंद: – निचृद्गायत्री ॥ स्वर: – षड्ज: ॥

Bhūridā Bhūri Dehi No Mā Dabhram Bhūryā Bhara |

                                                                                 Bhūri Ghedindra Ditsasi ||

पद पाठ

भूरि॑ऽदाः । भूरि॑ । दे॒हि॒ । नः॒ । मा । द॒भ्रम् । भूरि॑ । आ । भ॒र॒ । भूरि॑ । घ॒ । इत् । इ॒न्द्र॒ । दि॒त्स॒सि॒ ॥२०॥

पदार्थ –

भूरिदा: = अत्यंत देने वाले हैं

भूरि = अत्यंत, भरपूर

देहि = दीजिए

न: = हमारे लिए

मा = मत, नहीं

दभ्रं = कम, अल्प देना या दीजिए

भूरि = अत्यंत, अत्यधिक, अधिक से अधिक

आभर = भर दीजिए, दीजिए, आपूर्ति कीजिए

भूरि = अत्यधिक, बहुत सारा

इत् = निश्चय से, निश्चित ही

इन्द्र = हे! परमैश्वर्यवान ईश्वर आप

दित्ससि = देने वाले हैं, देना चाहते हैं।

अपार-धन-प्राप्ति-मंत्र-1

संक्षिप्त भावार्थ

हे प्रभों! आप बहुत ही देने वाले हैं। हमें बहुत ही दीजिए।

अपार धन प्राप्ति मंत्र का विस्तृत एवं सरल भावार्थ –

हे! परम् ऐश्वर्ययुक्त, ऐश्वर्यवान एवं परम ऐश्वर्य को देने वाले ईश्वर!

आप अत्यधिक मात्रा व संख्या में देने वाले है। अतः आप हमारे लिए अत्यंत ऐश्वर्य प्रदान कीजिए।

आप हमें अल्प मात्रा में अथवा कम मत दीजिए।

निश्चित ही आप हमें अत्यंत ही देना चाहते हैं।

मंत्र का सरल भाषा में व्यवहरिक अर्थ –

ऋग्वेद के मण्डल 4 सूक्त 32 मंत्र 20 में परमात्मा के गुणवाचक नाम इंद्र से संबोधित करते हुए प्रार्थना की गयी है।

इन्द्र का अर्थ है – परमेश्वर का ऐश्वर्यवान गुण अर्थात् भगवान् ऐश्वर्य से परिपूर्ण हैं।

ऐश्वर्यशाली होने व ऐश्वर्य देने वाले गुण के आधार पर वेदों में ईश्वर का नाम इन्द्र कहलाता है।

इस मंत्र में प्रभु से प्रार्थना की है, अत्यंत देने वाले मानकर उनकी स्तुति की है

दातार से अपार धन – ऐश्वर्य मांगा है। ऐश्वर्य का अर्थ है – ईश्वरीय संपदा = वैभव + धन + संपदा।

हे भगवान आप अत्यंत ऐश्वर्यशाली हैं, हमें सभी कल्याणकारी व लाभदायक वस्तुएँ प्रदान कीजिए।

हमें भरपूर मात्रा व संख्या में मेधाशक्ति, ज्ञान, विद्या, धन, संपदा और वैभव, आदि दीजिए।

हे सर्वेश्वर आप हमें  ऐसा पुरुषार्थी बनाइये कि हम ऐश्वर्य को प्राप्त कर सकें।

हमें ऐसे कर्मों कि ओर प्रेरित कीजिए जिनसे अपार धन, संपदा और वैभव अर्जित किए जा सकें।

ये ऋग्वेदीय धन प्राप्ति मन्त्र कैसे कार्य करता है?

ऋग्वेद के इस अपार धन प्राप्ति मंत्र (mantra for money) को ठीक से कंठस्थ कर लें।

जब भी सुबह – शाम परमात्मा से प्रार्थना करें तो इस मंत्र के भावार्थ को भी सोचते रहें। कम से कम संक्षिप्त अर्थ का मनन करते रहें।

एक बार मंत्र को फुसफुसाकर बोलें। फिर उसका अर्थ चिंतन करें।

कुछ ही दिनों में आपकी बुद्धि धन अर्जित करने के लिए हर पल प्रेरित होने लगेगी।

आप अपने प्रत्येक क्षण को धनोपार्जन करने में लगाने का प्रयत्न करने लगेंगे।

आप अपने आप ऐसे लोगों कि संगति में उठने – बैठने लगेंगे जो धनाढ्य हैं।

ऐसे आप ईश्वर कृपा से संपदा और वैभव भी अर्जित कर लेंगे।

ये शक्तिशाली मंत्र वास्तव में कार्य करता है।

इस मंत्र को किसी भी धर्म का व्यक्ति किसी भी समय जप सकता है।

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