गायत्री मन्त्र (Gayatri Mantra) का सच
अधिक्तर लोग नहीं जानते गायत्री मंत्र का सच कि 24 अक्षर का नहीं अपितु 23 अक्षर का है असली गायत्री मन्त्र (Gayatri Mantra)।
इस लेख में आपको ये बात सहप्रमाण सिद्ध करके समझाई जाएगी ।
आइए जानते हैं क्या है गायत्री मन्त्र के अक्षरों की संख्या का रहस्य?
प्रसिद्ध गायत्री मन्त्र (Gayatri Mantra) का सच
ओ३म्…
भूर्भुवः स्व: । तत्सवितुर्वरेण्यं । भर्गो देवस्य धीमहि । धियो यो नः प्रचोदयात् ।। -(यजुर्वेद 36/3)
गायत्री मन्त्र चारों वेदों में वर्णित है। ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद में इस मन्त्र का उल्लेख अर्थसहित है।
परंतु अथर्ववेद – 19/71/1 में गायत्री मंत्र का फल कथन व गायत्री मन्त्र कि महिमा गायी है।
इस मन्त्र में तीन व्याहृतियाँ हैं –
- भू: –
- भुवः
- स्व:
इसके बाद ‘तत्स्वितुर्वरेण्यं’ से वास्तविक गायत्री मन्त्र प्रारम्भ होता है। तीन पाद हैं गायत्री मंत्र में।
इस मन्त्र के देवता ‘सविता देव’ हैं, ऋषि ‘विश्वामित्र’ हैं, स्वर मध्यम या षड्ज माना जाता है।
अर्थात् इस मन्त्र के स्वर के विषय में वैदिक विद्वानों में दो भिन्न मत हैं।
कहीं – कहीं इस मन्त्र के स्वर को षड्ज न मानकर मध्यम मान लिया गया है।
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गायत्री मन्त्र किस छंद में है ?
अब इस सब जानकारी के स्पष्ट होने के पश्चात् रह जाता है गायत्री मन्त्र का छन्द ।
ये प्रश्न सहजता से खड़ा हो ही जाता है की गायत्री मन्त्र कौसने छंद में निबद्ध है?
और गायत्री मन्त्र किस छंद में है इसका उत्तर भी हमको बड़ा शीघ्र मिल ही जाता है।
तो समान्यतया सर्वशक्तिशाली गायत्री मन्त्र को गायत्री छंद में रचा गया है ऐसी जानकारी हमें प्राप्त होती है।
परंतु आपको जानकर आश्चर्य होगा कि वास्तव में गायत्री मन्त्र किस छंद में है इसकी जानकारी बहुत कम लोगों को है।
वास्तव में गायत्री मन्त्र निचृद्गायत्री छंद में है।
गायत्री छंद क्या है?
छंद क्या है? वेदों में छंद क्या है? कितने छंद हैं ? ऐसे प्रश्न वेद को जानने कि इच्छा रखने वालों के मन में आते ही हैं।
परमेश्वर कि वाणी से उद्यत वेदों में प्रत्येक मन्त्र के अक्षर व शब्द-समूह से एक पद या पाद बनता है।
उन पदों को मात्राओं के आधार पर विभाजित किया जाता है।
जिससे कि अनेक प्रकार कि पद्धति से उन वेद मंत्रों को लिखा, बोला व गाया जा सके।
मंत्रों के अक्षर, मात्रा, शब्द और पाद कि संख्या भिन्न-भिन्न रहती है।
उन भिन्न मंत्रों को वर्गीकृत करने हेतु उनके मात्रा और पाद का विभाजन किया गया और ऐसे छंद निर्मित हुए।
ऐसे ही गायत्री छंद में कुल तीन पाद होते हैं। प्रत्येक पाद में आठ-आठ अक्षर होते हैं।
इस तरह तीन पाद में आठ-आठ अक्षर होने से 24 अक्षर का गायत्री छंद होता है।
विशेष:- इस गायत्री छंद में भू:, भुव:, स्व: ये तीन व्याहृतियाँ सम्मिलित नहीं हैं।
निचृद्गायत्री छंद क्या है?
ऊपर बताया गया कि गायत्री छंद में प्रत्येक पाद में 8 अक्षर होते हैं इस प्रकार कुल 24 अक्षर होते हैं ।
परंतु जब गायत्री छंद के किसी एक पद में पूरे 8 अक्षर न होकर 7 रह जाएँ तो वह निचृद्गायत्री छंद कहलाता है।
कुछ वेद-विद्वान निचृद्गायत्री छंद को संक्षिप्त रूप में गायत्री छंद कहकर संबोधित कर देते हैं।
24 नहीं 23 अक्षर हैं गायत्री मन्त्र में
वास्तव में गायत्री मन्त्र में कितने अक्षर हैं 24 या 23?
अब यहाँ गायत्री मन्त्र के प्रत्येक अक्षर की गणना कर लेते हैं। तीन व्याहृतियों को इसमें सम्मिलित नहीं किया जाता ।
उससे पूर्व ये जान लेना आवश्यक है कि आधे अक्षर और अक्षर पर लगी किसी भी मात्रा को पूरा अक्षर नहीं माना जाता है।
आइये गिनती प्रारम्भ करते हैं…
- तत्
- स
- वि
- तु
- व
- रे
- ण्यम्
- भ
- र्गो
- दे
- व
- स्य
- धी
- म
- ही
- धि
- यो
- यो
- न:
- प्र
- चो
- द
- यात्
विशेष:- यदि यजुर्वेद के इस गायत्री मन्त्र को हम ‘भूर्भुव:स्व:’ से प्रारम्भ करके जपते हैं तो ये ‘दैवी बृहती’ छंद के अंतर्गत माना जाएगा ।