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Subah ki prarthana

सुबह की प्रार्थना

सभी आस्तिक मनुष्य जागते ही सुबह की प्रार्थना  में उस एकमात्र सर्वव्यापी परमात्मा को स्मरण किया करें। ऋग्वेद में स्वयं परमेश्वर ने ऐसा उपदेश किया है। परमात्मा द्वारा निर्देशित सुबह सवेरे प्रार्थना हेतु ऋग्वेद के ५ शक्तिशाली मन्त्र अर्थ सहित ध्यान पूर्वक जपें इससे आपका प्रत्येक दिन शुभ एवं मंगलमय होगा।

विद्यार्थियों के लिए सुबह की प्रार्थना

सुबह के समय विद्यार्थियों द्वारा विद्यालयों में भी सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु प्रार्थना बोली व गायी जाती है। परमात्मा द्वारा जीवन में प्रगति, सुख और शांति प्राप्त करने के लिए ऋग्वेद के सातवें मण्डल के इकतालीसवें सूक्त के प्रथम मंत्र से लेकर पांचवें मंत्र तक बहुत ही प्रभावी और शक्तिशाली प्रातःकालीन प्रार्थना (morning prayer) बताई गयी हैं, उनमें से सर्वप्रथम मंत्र को पदार्थ एवं भावार्थ के साथ प्रस्तुत किया जा रहा है। ये प्रार्थना सभी विद्यार्थी और शिक्षार्थीगण के लिए सबसे अधिक लाभकारी है। इस ऋग्वेदीय प्रार्थना को करने से प्रतियोगी परीक्षा व सरकारी नौकरी या निजी नौकरी हेतु साक्षात्कार में सफलता प्राप्त करने जैसे महाकठिन कार्य भी सुगमता से सिद्ध हो जाते हैं।  ऋग्वेद के शेष 4 प्रातःकालीन मंत्रों को जानने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए। रोजाना उठते ही ईश्वर की स्तुति व उपासना हेतु प्रथम वैदिक प्रार्थना निम्नलिखित है –

ओ३म्।।  प्रातरग्निं प्रातरिन्द्रं हवामहे प्रातर्मित्रावरुणा प्रातरश्विना ।

प्रातर्भगं पूषणं ब्रह्मणस्पतिं प्रातस्सोममुत रुद्रं हुवेम ॥  ओ३म् ।। –  [ ऋग्वेद : मण्डल 7, सूक्त 41 , मंत्र 1 ]

ऋषि: – वशिष्ठ:। देवता: – भगः।  छंद: – निचृत्त्रिष्टुप् । स्वरः – धैवतः ।।

 

पदार्थ-

प्रातः – भोर उदय से पूर्व के समय,

अग्निम् – अग्नि समान प्रभु की,

हवामहे – स्तुति करें।

प्रातः इन्द्रम् हवामहे – प्रातःकाल बिजली व सूर्य के समान प्रकाशक परमेश्वर की उपासना करें।

मित्रवरुणा – प्राण और उदान दोनों महाप्राणों को,

प्रातः – प्रभात में प्राणायाम द्वारा नियन्त्रित व सन्तुलित करके वश में करें।

प्रातःअश्विना –  सूर्य व चंद्र को उतपन्न करने वाले परमात्मा की उपासना  करें। अर्थात् शरीर में सूर्य (दायें) और चंद्र (बाएं) स्वर को सक्रिय करके उन्हें सन्तुलित करें।

प्रातः – सवेरे।  भगं – ऐश्वर्यमय, भजनीय।

पूषणं –  पुष्टिकर्ता अर्थात् पोषण करने वाले की स्तुति करें। अर्थात् प्रातः पुष्टिवर्धक वायु का सेवन करें।

ब्रह्मणस्पतिम् – ब्राह्मण के स्वामी जगदीश्वर और वेद के उपदेशक विद्वान की शिष्यगण,

सोमम् – औषधि की रोगी और

रुद्रम् – पापियों को रुलाने व दंड देने वाले प्रभु की भक्तगण,

प्रातः – सुबह उठते ही,       हुवेम –  स्तुति, उपासना व सेवा  करें ।

भावार्थ-

प्रत्येक मनुष्य प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में जगकर नित्यकर्म से निवृत हुआ करे।  उस एकमात्र तेजस्वी-प्रकाशक के तेज का ध्यान करते हुए उपासना करे। ईश्वर की स्तुति  करता हुआ सुबह सैर (भ्रमण) करने जाए।  प्राणायाम करते हुए शुद्ध प्राकृतिक वायु का पान करे।  रोगी औषधि का सेवन करे और शिष्य विद्या प्राप्ति हेतु आचार्य के सान्निध्य में जाए।

इस वैदिक मंत्र का व्यावहारिक एवं वैज्ञानिक अर्थ चिंतन –

(१) जागते ही ईश्वर की स्तुति के साथ प्राणायाम

सुबह की प्रार्थना

देखिए! वेदों में भोर उदय के पहले ब्रह्ममुहूर्त में मनुष्य को उस सर्वव्यापक और एकमात्र उपासनीय व भजनीय परमेश्वर की उपासना किस प्रकार करनी चाहिए, किस प्रकार परमपिता से सुबह की प्रार्थना  करनी चाहिए, बड़ा ही स्पष्ट बताया है।  इस मंत्र में परमात्मा को विद्युत व सूर्य के समान प्रकाशक बताया है और प्रातःकाल किस प्रकार सर्वप्रथम उठकर ईश्वर से ऐश्वर्य मांगा जाए, प्राणायाम के माध्यम से प्राण और उदान को संतुलित व सक्रिय करके तत्पश्चात भ्रमण करते हुए  सवेरे की शुद्ध, प्राकृतिक व ऊर्जावान वायु का अपने दोनों नासिका द्वारों से शरीर में सेवन किया जाए, जिससे कि रक्त व प्राणवायु का संचार पर्याप्त मात्रा में होने से हमारा संपूर्ण शरीर और उसके अंग-प्रत्यंग सदैव सवस्थ व सुदृढ़ बने रहें क्योंकि स्वस्थ तन-मन से ही हम संसार के सब सुख-ऐश्वर्य भोग सकेंगे साथ ही मनुष्य जीवन के चार उद्देश्य धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्राप्त कर सकेंगे।

(२) औषधि, संस्कार एवं विद्या प्राप्ति के लिए उद्यम

सुबह उठते ही प्रत्येक मनुष्य को चाहिए कि वह पाप कर्म से रहित होकर पुण्य कर्म के लिए प्रेरित रहे क्योंकि ईश्वर का गुणों के आधार पर एक नाम रुद्र है, रुद्र का अर्थ है – जो पापियों को दंड देता है, रोगी को चाहिए कि वह दवा लेते समय ईश्वर से आरोग्य के लिए प्रार्थना करे। शिष्यगण को चाहिए कि वे संस्कार, विद्या और शिक्षा ग्रहण करने हेतु आचार्य, गुरु अथवा शिक्षक के पास जाएं और मार्गदर्शन प्राप्त करें। हमारे वेदों में कितने व्यावहारिक, तार्किक और वैज्ञानिक रूप से जगदीश्वर ने हमें मनुष्य जीवन व्यतीत करने के सब नियम-सिद्धांत बताये हैं।

प्रार्थना हेतु ऋग्वेद के 5 सबसे शक्तिशाली मन्त्र के शेष 4 मन्त्र भी पदार्थ एवं भावार्थ सहित अन्य लेखों में बताए गए हैं, वेदविदयोग वैबसाइट (Vedvid Yog website) के मुखपृष्ठ की विषय सूची में जाकर आप उन्हें पढ़ कर सुबह सवेरे की मंगलकारी भाग्य जगाने वाली प्रार्थना  कौन कौनसी हैं ये जान सकते हैं।

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